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असुर पुरास्थल खूंटी टोला

ASI असुर पुरास्थल खूंटी टोला

असुर पुरास्थल खूंटी टोला

असुर पुरास्थल खूंटी टोला को सर्वप्रथम सन् 1916 में श्री एस. सी. राय ने उल्लेखित किया था । उन्होंने यह पाया कि गांव खूंटी टोला के एक बडे भुखंड पर 50 की संख्या में पत्थर की बड़े बड़े पट्टिकायें दिखाई पड रही थीं । इसमें से 12 की उन्होंनें खुदाई की । इन खुदाइयों के दौरान उन्होने पाया की वे वस्तुत: कब्र थे जिनमें मृत्तकों की हड्डियों के अतिरिक्त विविध आकार प्रकार के मृदभांड भी रखे गये थे । इनमें से कुछ मृदभांड एक के उपर एक और इस तरह से अधिकतम एक बार में चार रखे गये थे । प्रत्येक बड़े मर्त्तबान के भीतर एक छोटा चुक्का (संकरे मुंह वाला जग) एवं एक मिट्टी का दीपक रखा गया था । कुछ बड़े मर्त्तबान में कुछ सामग्री यथा तांबे के आभुषण एवं पत्थर व तांबे से बनी मनको को भी रखा गया था । इन खुदाइयों में श्री एस. सी. राय को तांबे के कड़े कांसे के कडे कासे की घंटियां, तांबे की पायल, लोहे के बने छ्ल्ले व कड़े तथा लोहे के कई अन्य औजार भी मिले थे । सन 1944 में श्री ए. घोष ने इन स्थलों का पुन: सर्वेक्षण किया एवं पाया की वहां हड्डियों के टुकड़े एवं लाल मिट्टी के रंग वाले मृदभांड के टुकडे भद्दे किस्म के व मोटे अनुभाग वाले बिखरे हुये पडे थे । इसके अतिरिक्त उन्होने इस स्थल से एक मिट्टी के बर्तन का ढक्कन, मर्तबान का एक टुकडा तथा दोहरी पक्तियों से बने सकेंद्रित वृत्तों के अलंकरण वाले दो ठीकरों को भी प्राप्त किया था । इस स्थल की तिथि ई. सन की प्रारंभिक सदी निर्धारित की जाती है ।